१५४ ॥ श्री हरि शरन दास जी ॥
चौपाई:-
भंडारे के बरतन धोयन। अन्त समय हरि पुर सुख सोयन॥
कहै हरि शरन दास सुनाई। जेहि बिधि गयेन ठीक बतलाई।२।
चौपाई:-
भंडारे के बरतन धोयन। अन्त समय हरि पुर सुख सोयन॥
कहै हरि शरन दास सुनाई। जेहि बिधि गयेन ठीक बतलाई।२।