१६७ ॥ श्री खगेश्वर दास जी ॥
चौपाई:-
सीला बृत्य कीन हम भाई। तीस बर्ष तक सत्य सुनाई॥
राम नाम का सुमिरन कीन्हा। अन्त समय हरि पुर चलि दीन्हा॥
सुःख वहां का को कहि पाई। लखितै बनै वरनि नहिं जाई॥
नाम खगेश्वर दास हमारा। क्षत्री कुल था ग्राम बिल्हरा।४।
चौपाई:-
सीला बृत्य कीन हम भाई। तीस बर्ष तक सत्य सुनाई॥
राम नाम का सुमिरन कीन्हा। अन्त समय हरि पुर चलि दीन्हा॥
सुःख वहां का को कहि पाई। लखितै बनै वरनि नहिं जाई॥
नाम खगेश्वर दास हमारा। क्षत्री कुल था ग्राम बिल्हरा।४।