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२०४. ॥ श्री घट घट शाह जी ॥ (२)


शेर:-

हरि हुक्म की तामील करना ही हमारा काम है।

जिस जगह चाहैं जांय हम सकता न कोई थाम है॥

सतगुरु कृपा से ध्यान लय परकाश पाया नाम है।

सुर मुनि मिलत नित नेम से दो टेम बसु औ याम है॥

नौबत सुनो घट में सदा क्या हो रही बेदाम है।

सन्मुख में हरदम छबि छटा छाये रहत सिय राम है॥

वही बिष्णु श्री वही श्याम प्रिय वही सर्ब गुण के धाम हैं।

लिखना लिखाना समय पर देता बड़ा ही काम है॥

पढ़ि सुनि के चेतैं नारि नर जो फंसे दुख के ग्राम हैं।

आता समय अब तो सुनो हों भक्त जे बदनाम हैं।५।

धुनि ध्यान लय परकाश पावैं लखैं हरि हर ठाम हैं।

जे पाठ पूजा कीर्तन जप हवन में नर बाम हैं॥

तिनकी तो शैली अधिक हो सुर मुनि कहत यह आम हैं।

नाम धन जिनको मिला उनको बड़ी आराम है॥

श्रवन फल औ नयन फल भा सुफ़ल जियतै चाम है।

घट घट कहैं हम जा रहे करते तुम्हैं परनाम हैं।८।