२४२ ॥ श्री राम अँजोर जी ॥
पद:-
मन तुम सुनो नाम धुनि आला।
ध्यान प्रकाश समाधि होय जहँ कटै जगत भव जाला।
अनहद बाजा घट में बाजै मधुर मधुर क्या ताला।
हर दम सन्मुख में छबि निरखौ सिया औ दशरथ लाला।
सुर मुनि मिलैं द्वैत मिटि जावैं है यह विहँग कि चाला।
राम अँजोर कहैं सतगुरु करि बनि जाओ मतवाला।६।