३०६ ॥ श्री ताकन शाह जी ॥ (२)
पाया खजाना नाम का ते नारि नर बाँके हुए।१।
ताकन कहैं सब बासना जियतै में हैं हाँके हुए।२।
ध्यान लय परकाश सन्मुख रूप छबि छाके हुए।३।
तन छोड़ि निजपुर को गये ते धन्य पितु मां के हुए।४।
पाया खजाना नाम का ते नारि नर बाँके हुए।१।
ताकन कहैं सब बासना जियतै में हैं हाँके हुए।२।
ध्यान लय परकाश सन्मुख रूप छबि छाके हुए।३।
तन छोड़ि निजपुर को गये ते धन्य पितु मां के हुए।४।