३१२ ॥ श्री कदीम शाह जी ॥ (२)
सुनिये महा मंत्र रंकार।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो तब होवै एक तार।
ध्यान प्रकाश समाधि जाव चलि कर्म होंय दोउ छार।
अमृत पिऔ सुनौ घट अनहद करैं देव मुनि प्यार।
काह बताय सकौ तब भाई दर्शैं सब औतार।
अन्त त्यागि तन राम धाम लो कहैं कदीम पुकार।६।