३३२ ॥ श्री ठाकुर कमल नयन सिंह॥
पद:-
मही माल पर मेहरी। तीनौ को समुझो केहरी।१।
जब माँगै निज निज बेहरी। तब कस आँगन घर डेहरी।२।
जिन पायो नाम की जेहरी। चट नांघि गयो भव देहरी।३।
भजि लीजै हर दम हेहरी। नहिं यम तन दें सब चेहरी।४।
पद:-
मही माल पर मेहरी। तीनौ को समुझो केहरी।१।
जब माँगै निज निज बेहरी। तब कस आँगन घर डेहरी।२।
जिन पायो नाम की जेहरी। चट नांघि गयो भव देहरी।३।
भजि लीजै हर दम हेहरी। नहिं यम तन दें सब चेहरी।४।