३६९ ॥ श्री दाता जान जी रण्डी ,मुकाम बनारस॥
पद:-
जिसे मुरशिद मिलै उसकी भलाई होने वाली है।
तन से सारे दुश्मनों की भगाई होने वाली है।
ध्यान धुनि नूर लय अनहद बधाई होने वाली है।
भरा घट में जो है कौसर पिलाई होने वाली है।
देव मुनि संग करि कीर्तन कुदाई होने वाली है।५।
नागिनी को जगा चक्कर सोधाई होने वाली है।
कमल सातों उलटि एक दम फुलाई होने वाली है।
बिधाता को लिखे अक्षर मिटाई होने वाली है।८।