३८९ ॥ श्री झँगली माई जी ॥
पद:-
सतगुरु करि सुमिरन में लगली। तन से बुजरी माया भगली।२।
ध्यान प्रकाश समाधि में पग ली। राम नाम धुनि में मन रंग ली।४।
राम सिया सन्मुख में टंग ली। कहै तुम्है छोरी हम संग ली।६।
तन तजि बैठिउ पासै बगली। गर्भ बास छूटा कहै झँगली।८।