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४६८ ॥ अनन्त श्री स्वामी सतगुरु नागा ॥

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राम दास नागा कहैं, बहुत हमारे अंश।

जग में आये आइहैं, करिहैं दु:ख बिध्वन्स॥

अनुभव बिन जाने नहीं, रहे दिमाग़ लड़ाय।

राम दास नागा कहैं, बार बार चकराय॥

दूध दही घृत मधु अमी, सागर भरे समाम।

राम दास नागा कहैं, पावें भक्त महान।७५।

 

गूंगे अन्धे औ बहिर, भक्त होंय जो कोय।

राम दास नागा कहैं, पहुँच सकै वहँ सोय॥

पंगुल बनि कछु दिन करै, एकै ठौर मुकाम।

राम दास नागा कहैं, पावै साधक नाम॥

लौ लागै जब नाम ते, भागै चोरन फ़ौज़।

राम दास नागा कहैं, तब हो पूरी मौज॥

साधक होय उपदेश ते, करते गान बजान।

राम दास नागा कहैं, ठगते नहीं ठगान॥

सेवा सुमिरन कीरतन, पूजन कथा औ पाठ।

राम दास नागा कहैं, हरि मिलने के ठाठ।८०।

 

जा को जा से प्रेम हो, सो तामें लग जाय।

राम दास नागा कहैं, तब डिगरी ह्वै जाय॥

सब देवन को सिद्ध है, राम नाम हम जान।

राम दास नागा कहैं, एक को लीजै मान॥

सब तुमको तब जांय मिलि, बोलैं जै जै कार।

राम दास नागा कहैं, आय करैं नित प्यार॥

जा के मन में भरम है, कौन बड़ा को छोट।

राम दास नागा कहैं, पावै जमन की चोट॥

भग्तन के कल्याण हित रूप बहुत हरि केर।

राम दास नागा कहैं, या में कछू न फेर।८५।

 

निज में सब सृष्टी लखै,सब में निज को मान।

राम दास नागा कहैं, मुक्त भक्त सो जान॥

रसना कर हालैं नहीं,सूरत शब्द समान।

राम दास नागा कहैं, अजपा यही महान॥

चारों द्वारा खोल दे, मोक्षन के यह जाय।

राम दास नागा कहैं, निरभय दे पहुँचाय॥

सतगुरु बिन नहिं मिल सकै, रेफ़ बिन्दु का खेल।

राम दास नागा कहैं, यह सिद्धान्त अपेल॥

साधक बैठे ध्यान में, पावै तब सतसंग।

राम दास नागा कहैं, सुर मुनि प्रभु के संग।९०।

 

हरि को यश सब भाषते, होत नहीं स्वर भंग।

राम दास नागा कहैं तन मन भरा उमंग॥

इस बिधि को जो जानिले, होवे जियते चंग।

राम दास नागा कहैं, चोर करैं नहिं तंग॥

रहनि सहनि औ सहनि को, साधक ले उर धार।

राम दास नागा कहैं, जियत होय भव पार॥

 

सोरठा:-

समय स्वांस तन पाय, राम नाम को जानि ले।

अन्त में निजपुर जाय, सत्य बचन मम मानि ले॥

राम के भक्त अनेक, भजन एक बिरती फरक।

मन को तन में छेंक, भजन करौ छोड़ो तरक॥

प्रभु हैं दीन दयाल, दीन बनो सब जानि लो।

तजि के सबै बवाल, सतगुरु बचन को मानि लो॥

करवावैं भगवान जो लीला जिस भक्त से।

को करि सकै बखान, राम दास नागा कहैं॥

भीतर बाहर एक, राम दास नागा कहैं।

फरक पड़ै नहिं नेक, हरि हर दम वाको चहैं।५।

जारी........