४६८ ॥ अनन्त श्री स्वामी सतगुरु नागा ॥(५)
परम पुनीत रकार मकार है, तन मन प्रेम से सुमिरन कीजै।
राम दास नागा कहैं भक्तों, सतगुरु से जप की विधि लीजै॥
ध्यान धुनी परकाश दशा लय, सन्मुख राम सिया को कीजै।
अमृत पिओ सुनो घट अनहद सुर मुनि संग नित खेल करीजै॥
कमल चक्र शिव शक्ती जागैं, सब लोकन में फेरी दीजै।
अन्त त्यागि तन चढ़ि सिंहासन, चढ़ि साकेत में बैठक लीजै।३।