॥ श्री हनुमानाष्टक प्रारम्भ ॥(७)
जब भीत गिरे से बचाय लियो।
तब दुष्ट से क्यों न बचावत हौ।
महमारिक रोग निरोग कियो।
खल रोग से क्यों न छुड़ावत हौ॥
जब संकट मोचन नाम सही,
तब क्यों मोहिं कष्ट सहावत हौ।
जब दास नगा के सहायक हो,
तब काहे न आश पुरावत हौ॥