॥ श्री शंकर जी की प्रार्थना ॥ (१)
हे शिव शिवा हरो दुख मेरो।
महादेव सुर मुनि सब कहते अम्बा मातु को टेरो।
तन में डाकू डाका डारैं मन को कीन्हैं चेरो।
सुकृति लूटि नित सब मिलि लेवैं कैसे होय निबेरो।
दहिने कर त्रिशूल उठाय के इनको छेद के गेरो।५।
तब हम तप धन फेरि सम्हारि कै करि लेवैं खुब ढेरो।
भक्तन के सर्वस्व आप हौ कृपा दृष्टि ते हेरो।
आसुतोष प्रभु अवदुर दानी अन्धा सेवक तेरो।८।