॥ श्री रामायण व गीता जी की प्रार्थना ॥
जारी........
पद:-
राम नाम है जुम्मेदार।
सतगुरु से जप भेद लेव लै होय न बाँको बार।
सुर मुनि मिलैं सुनो घट अनहद पिओ अमी की धार।
नागिनि जगै चक्र सब नाचैं कमल खिलैं एक तार।
ध्यान प्रकास समाधि नाम धुनि रोम रोम रंकार।५।
सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि सन्मुख हों निशि बार।
भाँति भाँति की गमकैं आवैं तन मन हो मतवार।
अन्त त्यागि तन अवध में राजौ अंधे कहैं पुकार।८।
पद:-
न तात के हैं न मात के हैं। सुमिरन बिना कुल की घात के हैं।२।
कहैं यह अंधे उतपात के हैं। चौरासी में परि जिन्नात के हैं।४।
सतगुरु करै अपनी जात के हैं। ले मुक्ति भक्ती करामात के हैं।६।
दोनों तरफ़ भे बिख्यात के हैं। न मैं तैं उनमें दिन रात के हैं।८।
पद:-
मन अब छोड़ो तुम धुरताई।
राम क नाम भजो हरषाई।
सतगुरु से सुमिरन बिधि जानो पावो जियति भलाई।
सारे चोर शांति ह्वै बैठें चलो गगन को धाई।
लै परकास ध्यान धुनि होवै र रंकार भन्नाई।५।
कर्म शुभा शुभ नाश जांय ह्वै सब में वही देखाई।
अन्त छोड़ि तन निज पुर राजौ छूटै जग चकराई।
अंधे कहैं चेतिये भक्तौं सब के हित पद गाई।८।
शेर:-
जियतै में हरि को जान ले सो तो है जीता जागता।
अंधे कहैं तन छोड़ि कै निज धाम को है भागता।१।
पद:-
जियतै में हरि को जान ले सो तो है जीता जागता।
अंधे कहैं तन छोड़ि कै निज धाम को है भागता।१।
पद:-
भक्तौं राम नाम में लपटौ।
सतगुरु से जप भेद जानि कै सारे चोरन डपटौ।
शांति दीन बनि बैठि जाय जब तब आगे को झपटौ।
अमृत पियो सुनो घट अनहद सुर मुनि को गहि चपटौ।
अन्त छोड़ि तन निज पुर राजौ गर्भ में फेरि न रपटौ।
जानि अजान बनौ कहै अंधे भेद न खोलो छपटौ।६।
शेर:-
चलते बैठे नारि नर यह सब मुरदा जान।
अंधे कह सुमिरन बिना बार बार चकरान।१।
पद:-
जियतै में दाया धर्म को जिसने कभी जाना नहीं।
नर तन बृथा निश्चर है वह अपने को पहिचाना नहीं।
सतगुरु बिना भटकत फिरै घट में बिचरि छाना नहीं।
तन मन कि करके एकता हा प्रेम में साना नहीं।
जो चेतिगा सो पार है फिरि गर्भ में आना नहीं।५।
अंधे कहैं आलस तजौ यह मर्द का बाना नहीं।
नर्क में रोवोगे चलि जहँ आब औ दाना नहीं।
गन्दी चीज़ों के सिवा वहँ पर कोई खाना नहीं।८।
पद:-
शिव बजरंग भक्त प्रतिपालक।
गदा त्रिशूल लिये दहिने कर दुष्टन के कुल घालक।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानै जो तन मन संचालक।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि मेटैं लिखा जो भालक।
सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि संग सुर मुनि बृन्दालक।५।
हर दम सन्मुख दर्शन देवैं पायो अपने मालक।
जारी........