साईट में खोजें

१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(२)


पद:-

जो कोई राम नाम रस छक्का।

सतगुरु से सब भेद जानि के जियति गया ह्वै पक्का।

माया चोर शाँत ह्वै बैठे मारि सकत नहिं धक्का।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै मिटै भाल के अँक्का।

सिया राम की झाँकी सन्मुख साथ में तीनौ कक्का।५।

सुर मुनि नित्य खिलावैं लाय के दिब्य दही के थक्का।

नागिनि जगी चक्र सब डोलैं खिले कमल के फंक्का।

अनहद सुनै अमी रस चाखै बहुत गगन ते झक्का।

अंधे कहैं जे चेतत नाहीं जानौ उन्हैं उचक्का।

अन्त त्यागि तन नर्क को जावै कौन सुनै तँह हंक्का।१०।