१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१५)
पद:-
जगत जंजाल में परना महा दुख है महा दुख है।
कहैं अंधे न हो तरना महा दुख है महा दुख है ।
उदर के हेतु धन हरना महा दुख है महा दुख है।
बिना जाने बका करना महा दुख है महा दुख है।
नहीं डरते हमें मरना महा दुख है महा दुख है।
पाप करमों में मन भरना महा दुख है महा दुख है।६।
शेर:-
दुष्ट करम जे जगत में वै सब हैं जंजाल॥
अंधे कह भेजैं नरक नाना कष्ट कराल॥