१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(७०)
शेर:-
सतगुरु औ मन्दिरों का भक्तों तवाफ़ करना।
अन्धे कहैं न दिल से नेकौ कभी बिसरना॥
आशिष मिलैगी सच्ची जियतै में हो सुधरना।
सेवा से प्राप्त सब हो छूटे गरभ का ठरना।२।
दोहा:-
हर हालत में खुश वही जा के आँखी कान।
अन्धे कह मानो सही सुर मुनि कीन्ह बखान॥