२१० ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (२३६)
पद:-
सतगुरु से जप बिधि जानकर मेहनत करो मेहनत करो।
नित नेम टेम को ठान कर मेहनत करो मेहनत करो।
मेहनत में लौ जब लागिहै सब चोर तन से भागिहैं,
मन शाँत ह्वै अनुरागिहै मेहनत करो मेहनत करो।
अनहद कि मधुरी तान हो, अमृत क घट में पान हो,
तब प्रेम में मस्तान हो मेहनत करो मेहनत करो।४।
नागिन जगै चक्कर चलैं, खुशबू उड़ै नीरज खिलैं,
सुर मुनि लिपटि करके मिलैं मेहनत करो मेहनत करो।
धुनि ध्यान लय परकाश हो, षट रूप सन्मुख भास हो,
जियतै गरभ दुख नाश हो मेहनत करो मेहनत करो।
सूरति क सारा खेल है करती शबद से मेल है,
मिलता खजाना रेल है मेहनत करो मेहनत करो।
अंधे कहैं जे मानिगे ते इस रहस्य को जानिगे
तन छोड़ि अति सुख खानिगे मेहनत करो मेहनत करो।८।