२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(७)
अर रर सिधौ लिखौ कबीर।
भोजन बसन में सादगी शाँति दीनता होय।
अन्धे कह सतगुरु शरनि सूरति शब्द मिलोय।
भला निर्भय निर्बैर न जग घूमै।४।
अर रर सिधौ लिखौ कबीर।
भोजन बसन में सादगी शाँति दीनता होय।
अन्धे कह सतगुरु शरनि सूरति शब्द मिलोय।
भला निर्भय निर्बैर न जग घूमै।४।