२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(८)
अर रर भैय्या बाँचु कबीर।
सतगुरु से उपदेस लै भार झोंक सब भार।
समय स्वाँस तन है मिला अन्धे कह सुखसार।
भला सुर मुनि औ सक्ती भला करैं।४।
अर रर भैय्या बाँचु कबीर।
सतगुरु से उपदेस लै भार झोंक सब भार।
समय स्वाँस तन है मिला अन्धे कह सुखसार।
भला सुर मुनि औ सक्ती भला करैं।४।