॥ श्री रामायण व गीता जी की प्रार्थना ॥
जारी........
उसी का हुवा शाँति भव जाल भारा।२।
ये अनमोल तन है मिला सुख का सारा।
भजन में निरंतर लगो एक तारा।३।
कहैं अंधे पितु मातु का सो दुलाला।
जो जियते में करतल किया यह शिकारा।४।
दोहा:-
सुखी दोऊ दिसि सो रहै जपै निरंतर नाम।
अंधे कह हरि भजन बिन मिलत नहीं निज धाम।१।
मिलत नहीं निज धाम राम सर्वत्र में रहते।
परदा द्वैत क लगा इसी से तुम्हैं न चहते। २।
शांति दीनता गहौ बनो साँचि को गहते।
अंधे कहैं सुनाय देव मुनि सब यह कहते।३।
पद:-
हरि सुमिरन में भक्तौं अपार सुख शाँति।
बिबिध भाँति के अनुभव हों नित नासि भई मन भ्राँति।
राम नाम का खेल अगम है जोगी जन कछु जांति।
जियतै मुक्त भक्त जो होवै सिया राम तेही माँति।
सतगुरु से जप की बिधि जानि के जो घट में घुसि छान्ति।५।
वह तो पूत सपूत गयो ह्वै नाम क ताना तान्ति।
सुर मुनि मिलते जै जै करते सब को वह पहिचान्ति।
अंधे कहैं छोड़ि तन निज पुर बनि बैठे प्रभु काँन्ति।८।
शेर:-
इत्तला नाम का करिये तो हो दरबार में जाना।
कहैं अंधे न चेतोगे तो जग में हो ग चकराना।१।
मन साफ जिसका हो गया बस लैन डोरी गड़ गई।
अंधे कहैं धुनि नाम पर चट मोहर भक्तौं पड़ गई।२।
यह मार्ग सूरति शब्द का निर्गुण सगुण का बोध हो।
अंधे कहैं धनि भक्त सो जो लेत या को सोध हो।३।
पद:-
रामहिं भक्तौं प्रेम पियारा।
तुलसी दास कह्यौ मानस में सत्य बचन सुख सारा।
सतगुरु से सब भेद जानि कै लागि जाय एक तारा।
सारे चोर शांति ह्वै जावैं मानौ जरि भे छारा।
नाम की धुनि परकास समाधी बिधि का लिखा बिगारा।५।
अमृत पियो सुनो घट बाजा मधुर मधुर निसि बारा।
नागिनि जगै चक्र षट नाचैं सातौं कमल पसारा।
उड़ै तरंग मस्त हो तन मन नैन बहै जल धारा।
हालै शीश बोल नहिं फूटै रोम रोम झनकारा।
सिया राम की झाँकी सन्मुख हर दम हो दीदारा।१०।
ऐसी दसा बसा सो निज पुर फेरि न जग पग धारा।
सुर मुनि सब नित दरसन देवैं बोलैं जै जै कारा।
भाग्य सराहैं मातु पिता की पुरवासिन परिवारा।
जिन पाल्यो औ गोद खेलायो हँसि हँसि कीन्ह दुलारा।
उनके सुकृत वरनि को पावै शेष सहस मुख हारा।१५।
नाते दार प्यार जिन कीन्ह्यो छूटि गये दुख भारा।
जहाँ जाय तहँ बसुधा शुभ हो खुशी होंय नर दारा।
लोक भुवन औ खण्ड दीप सब जल चर थल चर प्यारा।
धरती अगिनि अकास पवन जल सेवा हित तन धारा।
अंधे कहैं धन्य सो प्रानी जियति तरा औ तारा।२०।
पद:-
कीजै नाम के संग बिवाह।
सतगुरु से जप भेद जान लो सब हों चोर तबाह।
ध्यान प्रकास समाधि होवै सन्मुख साहनसाह।
जारी........