॥ श्री रामायण व गीता जी की प्रार्थना ॥
जारी........
जियति जानि कै मुक्त भक्त हो छूटै चोरन गंसला।
अंधे शाह कहैं तन तजि कै फेरि न जग में खसला।६।
पद:-
अपन मन चंगा कठौती में गंगा।
सतगुरु से सुमिरन बिधि जानै चोरन हटै अड़ंगा।
अमृत पिये सुनै घट अनहद बजै मनोहर ढंगा।
सुर मुनि नित प्रति बसन दिब्य ते झारैं तुमरो अंगा।
नागिन जगै चक्र सब नाचैं कमलन उड़ै तरंगा।५।
ध्यान प्रकास समाधि नाम धुनि पाय होहु एकरंगा।
सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि दम निरखौ संगा।
यह बानी रैदास कि गहि कर जियति जग जंगा।
अंत त्यागि तन निज पुर राजौ छूटै जग से टंगा।
अंधे कहैं भरै तब झोरी दीन होय भिखमंगा।१०।
यहैं सुमिरन बिना जम गण कहैं तू हरि का बैरी है।
कहैं अंधे खून चूसैं कि जैसे पाकि कैरी है।
पद:-
जै गणपति षट मुख महतारी।१।
दुष्ट संहारनि भक्त उबारनि सुर मुनि वेद पुकारी।२।
अंधे शाह बिनय यह करते एक निगाह से देहु निहारी।३।
राम भजन में मम मन लागै देहु अशीश शीस कर धारी।४।
कीजै राम नाम संग भौंरी।
सतगुरु से सिखु जाय पतिबृति बनी बैठि क्यों बौरी।
ध्यान प्रकास समाधि धुनी हो रूप पकड़ि ले दौरी।
मुख चूमै औ हिये लगावै धरै शीश पर मौरी।
दिब्य भोग नित लाय पवावै भक्तौ गणपति गौरी।
अंधे कहैं अंत निजपुर हो जग छूटै जिमि झौरी।६।
दोहा:-
राम नाम जेहि याद भा जानौ भा कंठस्त।१।
अंधे कह वह भक्त फिरि करै न जग में गस्त।२।
राम नाम कंठस्त भा जानो ह्वै गा यादि।३।
अंधे कह तब भक्त वह कभी न हो बरबादि।४।
चौपाई:-
कभी न हो बरबादि मस्त मन नाम में जिनका।
जियतै चुकता कियो मातु के गर्भ से रिन का।
माया जमगण मृत्यु काल को समुझै किनका।
सन्मुख सीता राम रहैं निरखै हंसि तिनका।
चेति के सतगुरु करो मिला तन सातै दिन का।५।
राति दिवस में गयो समै सुमिरन बिन सिन का।
अंधे कहैं सुनाय छोड़ि तन नर्क में भिनका।
वहाँ पै बस नहिं चलै जोर औ शोर औरिन का।८।
दोहा:-
बिन भजन नर तन बृथा जैसे गाछ है झूर।१।
अंधे कह अमृत निकट फांकत हर दम धूर।२।
पद:-
कर दे मेरा प्राण पूर बाघाम्बर वाले।१।
प्रथमै सिया ने दीन आपको राम नाम का तूर।
वही कृपा करि दीजै मोको मन हो प्रेम में चूर।
बिना नाम के जाने भव का दुःख न होवै दूर।
सतगुरु बिन यह भेद मिलत नहिं रहत जीव मजबूर।
अंधे कहैं जियति नहिं जानो सो भा कायर कूर।६।
पद:-
मर गईं सब मन की नारी जिनको कहते बासना।
अंधे कहैं सतगुरु कृपा अब चोर लेते सांस ना।
सतगुरु शरन लीन्हे बिना होता कभी कोई दास ना।
अंधे कहैं पढ़ि सुनि कथै है कानी कौड़ी पास ना।
जारी........