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॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(१०)

हे बजरंग कृपानिधि स्वामी।१।

मन औ चोर दु:ख नित देते ऐसे अधम निकामी।२।

इनको गदा उठाय के मारो, बन्दौं चरन नमामि नमामी।३।

भक्तन के संकट हो मेंटत अंधे कहैं सबै दिशि नामी।४।

 

दोहा:-

कार कपट का है बुरा हरि से राखे दूर।१।

अन्धे कह सच्चे बनो पावो नाम का तूर।२।

प्रेम का दरजा ऊँच है प्रेम अगम दरियाव।३।

अंधे कह सतगुरु शरण कोइ कोइ प्रेम को पाव।४।