॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(९)
हे कपीश कीजै अब दाया।
चापलूस हैं पांच जो तन में खुफ़िया मनहिं बनाया।
इस प्रकार तप धन सब हमरा लूट के सबन छिपाया।
नित प्रति आय तगादा करते देव हमार बकाया।
डारि के फाँस गाँस में राखे मानत नहिं सिर नाया।
अंधे कहैं बचावो इनसे शरनि आप की आया।६।