१५ ॥ श्री वाल्मीकि जी ॥
दोहा:-
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशि, दिवस शनिश्चर जान ।
महिना कातिक शाम को प्रगट भये हनुमान ॥१॥
ऋषि मुनि औ सब देवता, जपैं राम का नाम।
नामहिं ते सब मिलत है, मुक्ति भक्ति औ राम ॥२॥
दोहा:-
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशि, दिवस शनिश्चर जान ।
महिना कातिक शाम को प्रगट भये हनुमान ॥१॥
ऋषि मुनि औ सब देवता, जपैं राम का नाम।
नामहिं ते सब मिलत है, मुक्ति भक्ति औ राम ॥२॥