२२ ॥ श्री मोहम्मद साहब जी ॥
शेर:-
पैगम्बर हूँ खुदा का, मुहम्मद है नाम जानो ।
तुमको जो मैं सुनाऊँ, सुनिये लगा के कानो ॥१॥
करता है शुक्र हरदम जाता वही है जानो ।
मुरशिद की खिदमत का फल पाता वही है मानो ॥२॥
सब दीन दुनियां के हैं सातों सुरग के मालिक।
सूरति से नाम जपते मिलते हैं उनको खालिक ॥३॥
शेर:-
ईमान जिसका हो मुसल्लम रहम जीवों पर सदा ।
अल्ला का प्यारा जानिये तन मन से सच्चा वह गदा ॥१॥
मादर पिदर ने नाम मेरा था मोहम्मद ही धरा ।
पैगाम लाने से मेरा यह नाम पैगम्बर पड़ा ॥२॥
दुनियाँ से मुख को मोड़कर जो यादगारी में लगा ।
पहुंचेगा वह खुद खुदा ढिग हर दम जो इस रंग में रंगा ॥३॥
हर शय से सुनता धुनि जो है परवरदिगार के नाम की ।
अन्दर से अपने हो रही औ रोम रोम बयान की ॥४॥
परकाश के अन्दर में मूरति साँवरे सरकार की ।
सामने रहती सदा साँची कहौं करतार की ॥५॥
साँचा मिले मुरशिद जिसे बतलावे अजपा जाप को ।
सूरति शब्द की जाप अजपा जानि जावे आप को ॥६॥
बे फिक्र हो वह बशर जिसने चोर पाँच पिसान की ।
नाम पर तन मन व धन जिसने सुनो कुरबान की ॥७॥
हाथ पर धर कर कलेजा जंग में जो जायेगा ।
मुरशिद क दिल में कर भरोसा फतेहयावी पायगा ॥८॥
डंका अजल का बज रहा जावेंगे वो दोज़ख पकड़ ।
शुक्र हर दम नहीं किया देंगे जंजीरों में जकड़ ॥९॥
सख्त ऐसी है सज़ा देखा नहीं जाता वहाँ ।
प्रेम से सुमिरन जो करते सो नहीं जाते वहाँ ॥१०॥
बिहिश्त में जावेंगे बारह वर्ष के बनकर के वह ।
तन बसन सुन्दर क्या कहूँ बैठेंगे सिंहासन पर वह ॥११॥
फर्श तो पचरंग के तहँ पर बिछे मानो सही ।
रंग रंग के फूले फूल सुन्दर कहाँ तक उनको कही ॥१२॥
हवा खुशबूदार धीमि धीमि ठंढी आ रही ।
गुलशन की शोभा क्या कहूँ चिडियां किलोल मचा रहीं ॥१३॥
रबड़ी अनार मिले वहाँ पर खाने को जो जात हैं ।
रहते खुशी सब नर व नारी खात औ मुसक्यात हैं ॥१४॥
बरनन करेगा कौन रसना में नहीं ताक़त है जी ।
ध्यान करने वाले तो सब ध्यान में ताक़त है जी ॥१५॥
जाने वाले बहुत हैं जो सैर कर आते हैं जी ।
आकर के वँह से वे सुनो चेलों को बतलाते हैं जी ॥१६॥
दोहा:-
पीर पैगम्बर औलिया कुतुब हरें पर पीर ।
आलिम हाफ़िज मौलवी क़ारी देंय नज़ीर ॥१॥
आपै कुतुब हैं औलिया पैगम्बर औ पीर ।
हाफिज़क़ारी मौलवी आलिम आप नज़ीर ॥२॥
शेर:-
मुरशिद वही कामिल वही औ नूर सब में है वही ।
सूरत वही मूरत वही नहिं रूप लय में है वही ॥१॥
गोरा वही काला वही प्यारा वही न्यारा वही ।
जीता वही मीता वही ढारां वही सारा वही ॥२॥
राम अल्ला एक हैं यामें फरक नहिं नेक है ।
मुरशिद से जाकर जानिए मेरे बचन तब मानिए ॥३॥
जारी........