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२६४ ॥ श्री किशोरी माई जी ॥

(मुकाम शाहजहाँपुर)

 

लीजै राम नाम की हुंडी।

सतगुरु करि जप की बिधि जानो अजा भागि जाय गुंडी।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि छूटै तन मन घुंडी।

सुर मुनि मिलैं सुनो घट अनहद पिओ भरि कुंडी।

गणपति मोदक नित्य खिलावैं फेरैं शिर पर शुंडी।

तिर भंगी झांकी रहै सन्मुख जग त्यागौ जिमि झुँडी।६।