२९४॥ श्री पं. पञ्चानन जी का कीर्तन॥
जै गोविन्द श्री जय गोपाल। जय यशुमति सुत जय नन्द लाल।
जय राधे पति जय जगपाल। जय देवकि सुत बसुदेव लाल।
जय दशरथ सुत रघुपति राम। जय करुणा निधि शोभा धाम।
जय सब गुण आगर सिय राम। जय सर्वेश्वर सीता राम।
जय श्री बिष्णु सर्ब उर वासी। जय कमला पति सब सुख रासी।
जय श्री हरि नारायण स्वामी। जय लक्ष्मी निधि अन्तर यामी।६।