३१० ॥ श्री घूमन शाह जी ॥
पद:-
अवध मिथिला मधुपुरी की है अजब शोभा बनी।१।
सतगुरु करै सो लखि सकै आँखों में आवै रोशनी।२।
मणियों क क्या परकाश है कैसे सुघर हैं जन जनी।३।
रंग रंग की फैली हैं लता बस प्रेम में मानो सनी।४।
पद:-
अवध मिथिला मधुपुरी की है अजब शोभा बनी।१।
सतगुरु करै सो लखि सकै आँखों में आवै रोशनी।२।
मणियों क क्या परकाश है कैसे सुघर हैं जन जनी।३।
रंग रंग की फैली हैं लता बस प्रेम में मानो सनी।४।