३०९ ॥ श्री मुलायम शाह जी ॥
पद:-
सतगुरु करै भेद सब जानै छूटै भव का धम धम धम।
शान्ति प्रेम विश्वास बिना नहिं होवै कोई नम नम नम नम।
पासै में लखि लेय खजाना होय न कबहूँ कम कम कम कम।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि मिलै मिटै सब तम तम तम तम।
सन्मुख राधा माधौ नाचैं नूपुर बाजैं छम छम छम छम।५।
अमृत पियैं सुनि घट अनहद सुर मुनि भेटैं सम सम सम सम।
कहैं मुलायम शाह त्यागि तन निज पुर चमकैं चम चम चम चम।
या से चेत करौ नर नारी चन्द रोज का दम दम दम दम।८।