३६४ ॥ श्री खुदा जान जी ॥
(मुँगेर)
पद:-
लीजै अपना परमारथ सुधार करो सतगुरु दुख मिटै।१।
शेर:-
जाम कौसर क पिओ साज सुनो अनहद का।
देव मुनि आय मिलैं भेद देवैं सरहद का॥
बनि जाओ बीर हुशियार करो सतगुरु दुख मिटै।२।
शेर:-
ध्यान धुनि नूर समाधी में जहां चलना हो।
सारे पापों के ताप खुद बखुद तलना हो॥
फौज असुरन कि भागै हार करो सतगुरु दुख मिटै।३।
शेर:-
शक्ति कुण्डिलिनी जगै चक्र छइउ घूमैंगे।
कमल सातों भि उलटि एक साथ फूलैंगे॥
खुशबू मिलती रहै हर बार करो सतगुरु दुख मिटै।४।
शेर:-
सरस्वती गणेश की सन्मुख में रहैगी झाँकी।
बरनि पाओगे नहीं ऐसी अजब है बाँकी॥
मुद मंगल कि देने हार करो सतगुरु दुख मिटै।५।
शेर:-
करिके यतन मगन बनो खुदा जान सच कहैं।
सूरति शबद के साथ धुनो मन न तब बहै॥
यही समझो भजन का सार करो सतगुरु दुख मिटै।६।