३७८ ॥ अनन्त श्री स्वामी बाबा गोपाल दास जी ॥
(स्थान सीतापुर, नदी सराइन के समीप)
दोहा:-
सीतापुर स्थान मम, नदी सराइन पास।
गोपाल दास कह मानिये, बात कही हम खास।
नब्बे बर्ष की आयू में, बैठि क तजा सरीर।
गोपाल दास कह यान चढ़ि पहुँच गयन हरि तीर।
मंत्र षड़ाक्षर के जपे, षट बिकार हों नास।५।
गोपाल दास कह भक्त सो, जावे प्रभू के पास।
मन्त्र राज या को कहैं, गुरु से लै उपदेश।
बैठि एकान्त में जप करैं, पावै अपना देश।
बिधि हरि हर शारद जपैं, शेष गणेश दिनेश।
पवन तनय सुर मुनि जपैं, सब मन्त्रन में पेश।१०।
शान्ति दीन बनि लागिये, सफ़ल होय नर चाम।
गोपाल दास कह छाड़ि तन, जाव राम के धाम।१२।
पद:-
राम नाम मुद मंगल दाता।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो तब भक्तों फऱियाता।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रूप सामने छाता।
सब अवतार देव मुनि दर्शैं अनहद नाद सुनाता।
अमृत पिओ स्वाद क्या बरनौ रोम रोम पुलकाता।५।
नागिन चक्र कमल सब जागैं अदभुत महक उड़ाता।
वेद शास्त्र उपनिषद संहिता सब पुरान बुलवाता।
राग रागिनी द्वापर त्रेता सतयुग को बैठाता।
लोक भुवन औ द्वीप खण्ड सब देश शहर ले आता।
कसबा पुरी ग्राम गिरि सागर नदी ताल उमड़ाता।१०।
सब से नाच गान करवावै देखत ही बनि आता।
माया मृत्यु काल कर जोड़े बनगे पूरे नाता।
बीज मन्त्र औ मन्त्र परम लघु महा मन्त्र बिख्याता।
रेफ़ बिन्दु है नाम राशि का राम पिता सिय माता।
सब से सब में परे नाम है बिधि कर लेख मिटाता।१५।
चारों मोक्षन का दरवाजा आपै जाय खोलाता।
है अलेख औ अकथ अगम यह कोई पार न पाता।
प्रेम कि ताली से यह हाली दौड़ि तुम्हैं लिपटाता।
दीन बने बिन मिलै न यह पद सत्य मानिये ताता।
कहैं गोपाल दास मत चूकौ है अमोल यह बाता।२०।