३७८ ॥ अनन्त श्री स्वामी बाबा गोपाल दास जी ॥ (४)
पद:-
खीस भया तन नाम न जाना।
सतगुरु से जप भेद जानकर तन मन प्रेम में साना।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से भन्नाना।
सुर मुनि मिलैं सुनौ घट अनहद अमी करौ खुब पाना।
षट झाँकी हर दम रहैं सन्मुख मन्द मन्द मुस्क्याना।५।
नागिन जगै चक्र षट बेधैं सातों कमल फुलाना।
इड़ा पिंगला सुखमन ह्वैगा सब तीरथ स्नाना।
कहैं गोपाल दास तन तजि कै चलि बैठो निज थाना।८।