३९३ ॥ श्री चिरौरी शाह जी ॥
पद:-
कहैं शाह चिरौरी मेरी चिरौरी नर - नारिन सुख दाय।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो त्यागो मान बड़ाय।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रूप सामने छाय।
सुर मुनि मिलैं पियौ घट अमृत अनहद सुनो बधाय।
नागिन जगै चक्र षट नाचैं सातों कमल फुलाय।
अन्त समय निज पुर को जावो आवागमन नसाय।६।