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३९३ ॥ श्री चिरौरी शाह जी ॥ (२)


पद:-

कहैं चिरौरी शाह छोड़ि दो टिर टिर टिर टिर टिर।

सतगुरु बचन पर तुलो होय मन थिर थिर थिर थिर थिर।

ध्यान धुनी परकाश दशा लय भिर भिर भिर भिर भिर।

हर दम सन्मुख लखौ राम सिय घिरि घिरि घिरि घिरि घिरि।

अमृत पिओ गगन ते बरसै झ्रि झिरि झिरि झिरि झिरि।५।

सुर मुनि आवैं गले लगावैं धिऱि धिरि धिरि धिरि धिरि।

बिमल बिमल अनहद धुनि सुनिये तिरि तिरि तिरि तिरि तिरि।

नागिन जगै चक्र षट नाचैं किरि किरि किरि किरि किरि।

सातौं कमल खिलैं लहरावैं सिरि सिरि सिरि सिरि सिरि।

अन्त त्यागि तन गर्भ न आवो फिरि फिरि फिरि फिरि फिरि।१०।