५२४ ॥ श्री घट घट शाह जी ॥
पद:-
प्रेम सतगुरु से किया उसकी बधाई बाजी।
ध्यान धुनि नूर समाधी में जाय निज को माजी।
चोर सब शान्त हुये दुष्टता उनकी भाजी।
श्याम श्यामा की छटा सामने हर दम राजी।
देव मुनि आय लिपटि करैं वाह यहां जी।५।
साज निज घट में बजै सुनै ताल महा जी।
त्याग तन घट घट कहैं वास लेंय उहां जी।
जाय तब छूटि गर्भ कौल कुल कान हां जी।८।