६८३ ॥ श्री मेहनत शाह जी ॥
(मुकाम शफ़ीपुर)
पद:-
मेहनत कह सतगुरु करो, जानौ नाम अखण्ड।
सारे दुख की नाश हो, फूटि जाय भ्रम भण्ड।१।
मेहनत कह जियतै मरै, मुक्ति भक्ति तेहि हाथ।
सतगुरु बिन नहिं मिल सकै, कितनौ कूटै माथ।२।
पद:-
मेहनत कहैं सतगुरु करौ बनि दीन सब दुख नाश हो।१।
तन का ठेकाना है नहीं बसुयाम की यह सांस हो।२।
सिय राम सन्मुख में रहैं धुनि ध्यान लय परकाश हो।३।
बस जान लो यह शरन है तन त्यागि निजपुर बास हो।४।