६८६ ॥ श्री बाबा अनुरागी दास जी ॥
(चुनारगढ़)
पद:-
गुरु के चरन जाकी लागी लगन है। लागी लगन सोई रहत मगन है।२।
रहत मगन सोई जियत मरन है। जियत मरन सोई जियत तरन है।४।
जियत तरन सोई जियत शरन है। जियत शरन छबि लखत दृगन है।६।
लखत दृगन धुनि उठत रगन है। उठत रगन यह शिव का भजन है।८।
शिव का भजन यह मुख्य जतन है। मुख्य जतन अनमोल रतन है।१०।