७७ ॥ श्री अयोध्या जी देवी ॥ दोहा:- अभ्यन्तर धुनि जानि कै, जौन अमरपुर जाय । फिर कबहूँ लौटे नहीं, राम रूप ह्वै जाय ॥१॥