८३ ॥ श्री हरी दास जी ॥
दोहा:-
श्री पण्डित राम किशोर जी, श्री राम शरन हैं दास ।
श्री जगन्नाथ दास जी, औ श्री बद्रीदास ॥१॥
श्री राजेन्द्र दास जी, औ राम मंगल दास ।
मुन्सी हनुमान प्रसाद जी, प्रागनरायन दास ॥२॥
श्री विनायक दास जी, औ श्री विन्दू दास ।
वशिष्ठ कुण्ड गोकुल भवन, के समीप है वास ॥३॥
हरीदास जी कहत हैं, सुनिये वचन हमार ।
सूरति शब्द का खेल यह, है अति अगम अपार ॥४॥