३१० ॥ जिन्दा श्री प्रेमा माई जी॥
। प्रभु की शोभा ।
पद:-
दीनन के आधार हमारे प्रभु, दीनन के आधार।
परम उपासक युगल प्रभू के राम-नाम आधार।
हमारे प्रभु दीनन के आधार॥
रोम-रोम सों ध्वनि निकसत है, शब्द करत झनकार।
हमारे प्रभु दीनन के आधार॥
देव ऋषी दरशन को आवत, और करत जय-जयकार।
हमारे प्रभु दीनन के आधार॥
दीन-बंधु अति मृदुल स्वभाऊ, करुणा के आगार।
हमारे प्रभु दीनन के आधार॥
चरण-युगल नव कमल कली से, वचन अमिय मृदुधार।
हमारे प्रभु दीनन के आधार॥
दिव्य स्वरूप अनूपम छबि लखि, होत 'प्रेम' बलिहार।
हमारे प्रभु दीनन के आधार॥