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५ ॥ श्री कृष्ण भगवान जी ॥


गज़ल:-

लगन जो हमीं से लगाये हुये हैं ॥१॥

जुदाई के सदमें उठाये हुये हैं ॥२॥

अचल मुक्ति पदवी को पाये हुये हैं ॥३॥

हमारे तो दिल में समाये हुये हैं ॥४॥


दोहा:-

भद्रसेन सब सखन में, चतुर चपल बुधि अयन ॥५॥

भाव सदा मम पगन में, सुघर सलोने बयन ॥६॥


गज़ल:-

हमीं सीता हमीं राघौ हमीं राधा हमीं माधौ ॥७॥

हमीं निर्गुन हमीं सर्गुन हमीं निरंकार शून्य शब्दौ ॥८॥

हमीं ज्ञानी हमीं ध्यानी हमीं से चाहे जो माँगौ ॥९॥

हमीं सब में सबी हम में दूसरा कौन जेहि साधौ ॥१०॥


शेर:-

करै तन मन से जो सेवा हमारे भक्त प्यारे की ॥११॥

बढ़ै आनन्द दिन पर दिन सदा सुंदर दुलारे की।१२॥