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८७ ॥ श्री गंगा जी ॥


दोहा:-

राम क नाम रकार है, सत्य वचन सुनि लेहु ।

मन खींचो गुरु ध्यान करि, सूरति शब्द में देहु ॥१॥

अभ्यन्तर की धुनि उठै, रोम रोम सुनि लेहु ।

प्रभु नयनन सन्मुख रहैं, हरदम दर्शन लेहु ॥२॥