९७ ॥ श्री पलटूदास जी ॥
दोहा:-
स्वामी रामानन्द जी, मेटि दीन सब खेद ।
कबीर दास रैदास को, दीन शब्द का भेद ॥१॥
तब इसका परचार फिर, भयो जगत में आय ।
राम कृपा सतगुरु मिलै, जाय तबै कोइ पाय ॥२॥
दोहा:-
स्वामी रामानन्द जी, मेटि दीन सब खेद ।
कबीर दास रैदास को, दीन शब्द का भेद ॥१॥
तब इसका परचार फिर, भयो जगत में आय ।
राम कृपा सतगुरु मिलै, जाय तबै कोइ पाय ॥२॥