१०३ ॥ श्री गोविन्द साहब जी ॥
चौपाई:-
गुरु रकार की जाप बतावा। करि अभ्यास जानि कछु पावा ॥१॥
जो यहि भेद को जानै कोई। मुक्ति जियत में वाकी होई ॥२॥
चौपाई:-
गुरु रकार की जाप बतावा। करि अभ्यास जानि कछु पावा ॥१॥
जो यहि भेद को जानै कोई। मुक्ति जियत में वाकी होई ॥२॥