१०४ ॥ श्री कमाल जी ॥
चौपाई:-
पिता कबीर गुरु हैं मेरे। सदा रहत सो हरि के नेरे ॥१॥
नाम रकार मोहिं बतलावा। बीज मंत्र जो शिव ने पावा ॥२॥
बिना गुरु कोई कैसै जानै। जन्मै मरै न मिलै ठिकानै ॥३॥
चौपाई:-
पिता कबीर गुरु हैं मेरे। सदा रहत सो हरि के नेरे ॥१॥
नाम रकार मोहिं बतलावा। बीज मंत्र जो शिव ने पावा ॥२॥
बिना गुरु कोई कैसै जानै। जन्मै मरै न मिलै ठिकानै ॥३॥