१२८ ॥ श्री कर्ण जी ॥
सोरठा:-
दुख सुख एक समान दृढ़ राखै विश्वास मन ।
स्वांस स्वांस ते नाम सूरति लागै हरि चरन ॥१॥
अतिथि जौन कोइ जाय यथा शक्ति सेवा करैं ।
सो हरि के ढिग जाय सुर मुनि सब जै जै करैं ॥२॥
सोरठा:-
दुख सुख एक समान दृढ़ राखै विश्वास मन ।
स्वांस स्वांस ते नाम सूरति लागै हरि चरन ॥१॥
अतिथि जौन कोइ जाय यथा शक्ति सेवा करैं ।
सो हरि के ढिग जाय सुर मुनि सब जै जै करैं ॥२॥