१३४ ॥ श्री भूलनशाह जी ॥
शेर:-
क्या राम कृष्ण सुन्दर जो रहते सब के अन्दर ।
जो जानि लेय मन्तर सो होय फिर धुरन्धर ॥१॥
गुरु बिन मिलै न अन्तर मरि होय जीव जन्तर ।
हरि को भजै न वन्दर शिर पर चलैंगे खंजर ॥२॥
शेर:-
क्या राम कृष्ण सुन्दर जो रहते सब के अन्दर ।
जो जानि लेय मन्तर सो होय फिर धुरन्धर ॥१॥
गुरु बिन मिलै न अन्तर मरि होय जीव जन्तर ।
हरि को भजै न वन्दर शिर पर चलैंगे खंजर ॥२॥