१३३ ॥ श्री मछन्दर नाथ जी ॥
चौपाई:-
धूमावती शीतला माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥१॥
सब शक्तिन को शीश नवावों। निसिवासर मैं सबै मनावों ॥२॥
तुम्हरी कृपा रहौं तुम पासै। और बात दिल में नहिं भासै ॥३॥
अब इनको दीजै वरदाना। सदा होय जाते कल्याना ॥४॥
चौपाई:-
धूमावती शीतला माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥१॥
सब शक्तिन को शीश नवावों। निसिवासर मैं सबै मनावों ॥२॥
तुम्हरी कृपा रहौं तुम पासै। और बात दिल में नहिं भासै ॥३॥
अब इनको दीजै वरदाना। सदा होय जाते कल्याना ॥४॥