साईट में खोजें

१३७ ॥ श्री युधिष्ठिर जी ॥


दोहा:-

श्री कृष्ण महाराज जी हमको दीन बताय ।

राम नाम की धुनि सुनो सूरति शब्द लगाय ॥१॥

रा राकार पुकार हो हर दम रूप दिखाय ।

निर्धन को अति धन मिलै फूलै नहीं समाय ॥२॥

राम कृष्ण औ विष्णु जी भरत एक ही रूप ।

या में जो संशय करै सो जावै भव कूप ॥३॥